Videotranskripcija
कब तक यूही फिरते रहेंगे हम?
बंजारों का कहीं ठिकाना नहीं होता पवितरा.
कब तक जीएंगे हम बंजारों की जिन्दगी?
बस कुछ दिन और, फिर जिस समाज ने हमें इस मुकाम पर लाकर खड़ा किया है ना.
इस समाज से हम बहुत दूर और काफी दूर होंगे.
कब तक यूही फिरते रहेंगे हम?
बंजारों का कहीं ठिकाना नहीं होता पवितरा.
कब तक जीएंगे हम बंजारों की जिन्दगी?
बस कुछ दिन और, फिर जिस समाज ने हमें इस मुकाम पर लाकर खड़ा किया है ना.
इस समाज से हम बहुत दूर और काफी दूर होंगे.